लेखनी कविता-लश्कर -15-Feb-2022

✍🏻 लश्कर ✍🏻

लश्कर देश के आन-बान और शान है ,
ये सरहदों पर आज तैनात हुए है,
इनका एक ही मकसद महफूज मेरा वतन रहे,
वतन को माने अपना गुलशन खुद को माली,
गुलशन के हर फूल की वो करता है रखवाली,
कतरे-कतरे में कट जाएंगें वो बहा देंगे अपना लहू,
ना डरेंगे ना झुकेंगें बस वो फर्ज पर डटे रहते है,
ना उनका कोई अपना तीज-त्योहार मनाते है,
बस अपने देश-देशवासियों के ख्याल करते है,
हर किसी के बस की बात नहीं वो प्रहरी बनें,
वो तो  बिरले ही है कर्ज उतरने को है बनें,
सर अपना कटवा कर गिरते जमीन पर है,
पर गगन का वो ध्रुव तारा बन जाते है,
अपने मात-पिता का नाम वो रोशन कर जाते है,
ऐसे वो होते है अपने  देश के सिमा प्रहरी लश्कर है !!
✍🏻 वैष्णव चेतन"चिंगारी" ✍🏻
     गामड़ी नारायण
    बाँसवाड़ा
  राजस्थान

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